भाजपा कार्यकर्ता की राइस मिल में 3 माह से चल रही थी नकली शराब फैक्टरी, मालिक का तर्क-किराए पर दिया था गोदाम

news kurukshetra

news kurukshetra

Share Button

भाजपा कार्यकर्ता की राइस मिल में 3 माह से चल रही थी नकली शराब फैक्टरी, मालिक का तर्क-किराए पर दिया था गोदाम

कुरुक्षेत्र-इस्माइलाबाद ठोल में नेशनल हाइवे पर ही सूर्या राइस मिल है। इसी राइस मिल में नकली शराब…

ठोल में नेशनल हाइवे पर ही सूर्या राइस मिल है। इसी राइस मिल में नकली शराब तैयार करने की फैक्टरी चल रही थी। उक्त राइस मिल भाजपा के एक नेता की है। दावा है कि उसे इसकी भनक नहीं थी। हालांकि उसके खिलाफ केस दर्ज नहीं हुआ, लेकिन पुलिस ने अभी उसे क्लीन चिट भी नहीं दी।

बताया जाता है कि पिछले तीन माह से यहां उक्त फैक्टरी चल रही थी। यहां से अब तक लाखों लीटर नकली श

kurukshetra news
kurukshetra news

राब बनाकर सप्लाई की जा चुकी है। सोनीपत की ही स्पेशल टास्क फोर्स ने यह कवायद की। कुछ दिन पहले सोनीपत में भी ऐसे ही एक नकली फैक्टरी पकड़ी जा चुकी है। माना जा रहा है कि उक्त फैक्टरी के पकड़े जाने के बाद ही पुलिस को इसकी भनक लगी।

तड़के तीन बजे दी दबिश : स्पेशल टास्क फोर्स डीएसपी राहुल देव की अगुवाई में पहुंची। टीम में एसआई नरेश कुमार, एएसआई कृष्ण कुमार, हवलदार यशपाल, अजीत, अमित, राकेश, एएसआई सिकंदर, एएसआई निरंजन, दीपक, संदीप, सर्वजीत, इएचसी प्रवीन कुमार, राकेश कुमार, अश्वनी शामिल थे। यहां से इस्माइलाबाद प्रभारी सतीश कुमार, एसआई सुरेंद्र कुमार, शमशेर, रमेश कुमार, नसीब सिंह, एक्साइज विभाग से एइटीओ सतवीर सिंह शर्मा, सेवादार वेदपाल, आबकारी अधिकारी साहब सिंह को साथ लिया। तड़के तीन बजे टीम ने दबिश दी।

बाहर ताला-अंदर बन रही शराब : जब टीम यहां पहुंची तो बाहर ताला लगा मिला। जिस पर एकबारगी टीम को लगा कि शायद गलत सूचना मिली है, लेकिन तभी अंदर से कुछ गतिविधियां चलने का संकेत मिला। जिस पर टीम ने ताला तुड़वा कर प्रवेश किया। अंदर जाते ही टीम भी हैरत में पड़ गई। मौके पर कई लोग नकली शराब बना रहे थे। इस शराब की पैकिंग भी ठेकों पर मिलने वाली शराब की तरह मिली।

पुलिस बोली-नहीं दी क्लीन चिट, मिल मालिक की भूमिका की जांच होगी

18 रुपए में बन रहा था जहर, बाजार में बेचते थे Rs.130 में

इस फैक्टरी में आरओ का पानी, स्पिरिट, रंग, केमिकल व सेंट फ्लेवर को मिक्सर में डालकर नकली शराब तैयार की जाती थी। मिक्सर में तैयार कर इसे मशीन की मदद से बोतल में डालकर पैक करते। इस बोतल पर अलग-अलग देसी शराब ब्रांड का मार्का लगाया जाता। बताया जाता है कि यहां महज 18 रुपए में नकली शराब तैयार हो रही थी। जबकि बाजार में देसी शराब की बोतल 130 रुपए में बिकती है।

कैंटरों से होती थी सप्लाई

यहां तैयार शराब को कैंटरों से सप्लाई के लिए बाहर भेजा जाता था। कैंटर को भी चारों तरफ से कवर करते। ताकि किसी को भनक न लगे कि कैंटर में क्या है। बताया जाता है कि यहां से दूसरे जिलों और राज्यों में भी शराब पहुंचाई जा रही थी।

किडनी-लीवर को करती है डैमेज

विशेषज्ञों का मानना है कि नकली शराब सीधे-सीधे सेहत से खिलवाड़ है। उक्त शराब पीने से जहां व्यक्ति अंधा हो सकता है। वहीं उसकी जान भी जा सकती है। क्योंकि यह स्पिरिट, रंग, केमिकल और सेंट से तैयार होती। ये सब चीजें किडनी, लीवर को डैमेज करती है।

इस्माइलाबाद | शराब भरने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हजारों खाली बोतलें व पव्वे।

Rs.20 हजार था गोदाम का किराया

राइस मिल भाजपा नेता नरेश जैलदार की है। हालांकि उसके पास पार्टी में कोई पद नहीं है, लेकिन पार्टी व हलके में अच्छा रसूख है। नरेश का कहना है कि उसे भनक तक नहीं थी कि यहां नकली शराब बन रही थी। उससे गोहाना की तरफ से एक परिचित के माध्यम से उम्मेद ने 80 बाय 60 फुट का गोदाम किराए पर लिया था। 20 हजार रुपए महीने की दर से 11 माह का करार हुआ। उसे यही बताया गया कि यहां थिनर का गोदाम बनाना है। सीजन न होने के चलते राइस मिल बंद थी। कुछ कमाई के लिए उसने गोदाम किराए पर दे दिया।

अभी मिल मालिक पर केस दर्ज नहीं

वहीं एसएचओ सतीश कुमार का कहना है कि अभी मिल मालिक को क्लीन चिट नहीं दी है। हालांकि उसके खिलाफ एफआईआर नहीं हुई है। उसकी भूमिका है या नहीं, इसे लेकर जांच कर रहे हैं। यदि जांच में उसकी संलिप्तता मिलती है तो उसके खिलाफ भी केस दर्ज होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *