पावर में पारदर्शिता के लिए सरकार लॉन्च करेगी पोर्टल
पावर में पारदर्शिता के लिए सरकार लॉन्च करेगी पोर्टल
बहुत जल्द सरकार बिजली की मांग आपूर्ति और इसकी हर छोटी-बड़ी गतिविधियों के हिसाब-किताब की जानकारी जनता को सीधे मुहैया कराने के लिए एक पोर्टल लांच करेगी. नेशनल पावर पोर्टल इसी महीने में लॉन्च होने की संभावना है.
बहुत जल्द सरकार बिजली की मांग आपूर्ति और इसकी हर छोटी-बड़ी गतिविधियों के हिसाब-किताब की जानकारी जनता को सीधे मुहैया कराने के लिए एक पोर्टल लांच करेगी. नेशनल पावर पोर्टल इसी महीने में लॉन्च होने की संभावना है. इसके लॉन्च होने के बाद देश के हरेक पावर हाउस में पैदा हो रही बिजली और उसके वितरण के साथ-साथ मांग और आपूर्ति के बारे में हरेक जानकारी ऑनलाइन और रियल टाइम में होगी.
जल्द ही सरकार ऐसा मैकेनिज्म विकसित करेगी जिससे निजी, सामाजिक या व्यावसायिक तौर पर सोलर या विंड एनर्जी के प्लांट लगाने के लिए एकल खिड़की जैसी व्यवस्था हो सके. ताकि किसी भी इच्छुक व्यक्ति या संस्थान को विभिन्न विभागों के चक्कर न लगाने पड़ें.
ऊर्जा मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार शहरी क्षेत्रों के 25 हजार फीडर और ग्रामीण क्षेत्रों के एक लाख फीडर्स को उस पोर्टल से जोड़ेगी. ताकि इस पर हरेक नागरिक की पहरेदारी बनी रहे. इसके अलावा बिजली खरीद बिक्री और टेंडर प्रक्रिया को भी जनता की नजर में लाने की प्रक्रिया तेज की जाएगी.
देश में पैदा हो रही जरूरत से ज्यादा बिजली
गौरतलब है कि देश में बिजली जरूरत से ज्यादा पैदा हो रही है. लिहाजा पहली बार ऐसा हो रहा है कि विदेशों को बड़े पैमाने पर बिजली निर्यात की जा रही है. देश इस भीषण गर्मी में भी बिजली के उत्पादन के साथ ही मांग और आपूर्ति का संतुलन बिठाने में सक्षम है. तीन सालों के भीतर बिजली के क्षेत्र में इस आत्मनिर्भरता की मुख्य वजह ऊंचे लक्ष्य और उनको पाने के लिए कड़ी व ईमानदार मेहनत की गई. उच्च गुणवत्ता वाला सस्ता घरेलू कोयला, उसका सटीक परिवहन और लीकेज रोकने के कारगर उपायों से बिजली उत्पादन सस्ता और जरूरत से ज्यादा हुआ है.
सरकार नो कोल को मोर कोल और बेटर कोल के नारे के साथ आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है. तभी तो 2013-14 में कोयला का कुल उत्पादन 462 मीट्रिक टन से अब 2016-17 में बढ़कर 554 मीट्रिक टन हो गया है. इसके अलावा कोयला खदानों की नीलामी में भी पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है. 21 ब्लॉक की नीलामी से राज्य सरकारों को 3 हजार 359 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई है. ऐसे कई कदमों से बिजली उत्पादन मजबूत हुआ है.
कोयले के उत्पादन और बिजली ज्यादा होने से अब देश में बचे हुए छह सौ गांवों तक बिजली पहुंचाना आसान हो जाएगा. जिन बिजली विहीन गांवों की लिस्ट दिखाकर विपक्ष हंगामा करता है उनमें से कई गांवों में सर्वेक्षण टीम गई तो पाया कि वहां कोई आदमी नहीं रहता. हालांकि जिन दुर्गम गांवों में अब तक बिजली नहीं पहुंची या सिर्फ खंभे लगे हैं और तार खिंचे हैं वहां तक बिजली की रोशनी पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है. इसके साथ ही सस्ती बिजली, ऊर्जा के सरल और सस्ते साधन भी सरकार की प्राथमिकता सूची में ऊपर हैं.
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