त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर का क्या है रहस्य?

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त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर का क्या है रहस्य?

दर्शन के लिए यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं। देवी के भक्त सुबह से ही 1,000 सीढ़ियों के सहारे चढ़कर मंदिर में दर्शन करने के लिए लाइनों में खड़े हो जाते हैं। यहां पर कई रोप-वे की भी सुविधा उपलब्ध है। इसके सहारे शरीर से असहाय श्रद्धालु भी देवी के दर्शन के लिए आसानी से पहुंच जाते हैं।

पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है। यहां प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी आते हैं किंतु वर्ष में दोनों नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें लाखों यात्रि मैहर आते हैं।

मान्यता के अनुसार माता सती के शरीर के हिस्से और धारण किए आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्ति पीठ अस्तित्व में आ गए। शक्तिपीठों की संख्या विभिन्न ग्रंथों में अलग-अलग बताई गई है। तंत्र चूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है

कहा जाता है कि जब भगवान शिव मृत देवी मां के शरीर को ले जा रहे थे, उनका हार इस जगह पर गिर गया और इसलिए इस जगह का नाम मैहर यानि मैहर- माई का हार पड़ गया। कुछ अन्यों किवंदतियों के अनुसार यहां मां भगवती सती का उर्ध्व ओष्ठ गिरा था।

पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है। यहां प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी आते हैं किंतु वर्ष में दोनों नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें लाखों यात्रि मैहर आते हैं।

 

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